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लेखनी प्रतियोगिता -02-Aug-2022

"चल पाओगे"

मैं जो दिल की हर बात तुझ से कह दूं,
क्या तुम भी मुझे खुद से रूबरू करवाओगे।

आईना जो देखा तो खुद से ही ये दिल सवाल कर बैठा,
क्या तुम भी मुझे अपने अक्स में देख पाओगे।

देखा है मैंने भी चांद तारों को जमी से मिलते हुए,
जब कभी देखूंगा उनको तो तब तुम याद आओगे।

मेरी किस्से, कहानियों, मेरी दुनिया तुमसे ही थी,
क्या तुम भी अपनी दुनिया का छोटा सा हिस्सा मुझे बनाओगे।

जिंदगी की राहों में घर चल भी दूं साथ तुम्हारे,
क्या तुम भी दो कदम साथ मेरे चल पाओगे।

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8 Comments

Raziya bano

03-Aug-2022 08:57 AM

Sunder

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Punam verma

03-Aug-2022 07:46 AM

Nice

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Abhinav ji

03-Aug-2022 07:30 AM

Very nice👍

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